सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए – स्त्री धर्म क्या है

सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए – स्त्री धर्म क्या है – सुहागन स्त्री के बाल धोने के बारे में प्राचीन समय से ही कई सारी परंपरा चली आ रही हैं. यह सभी वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के आधारित हैं. इसलिए पुराने समय से ही यह मान्यताएं चली आ रही हैं. और आज के समय में भी यह सभी मान्यताएं मानी जाती हैं. कुछ महिलाएं इस मान्यताओं को मानती हैं. तो कुछ महिला नहीं मानती हैं.

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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए तथा स्त्री धर्म क्या है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं. यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए

सुहागन स्त्री रोजाना बाल धो सकती हैं. सिर्फ उन्हें बृहस्पतिवार गुरुवार के दिन बाल नहीं धोने चाहिए. अगर सुहागन स्त्री गुरुवार के दिन बाल धोती हैं. तो यह उनके पति के लिए अशुभ माना जाता हैं.

ऐसा करने पर पति की उम्र घटती हैं. तथा पति को काफी सारी समस्याओं को सामना करना पड सकता हैं. इसलिए सिर्फ गुरुवार के दिन बाल नहीं धोकर किसी भी दिन सुहागन स्त्री बाल धो सकती हैं.

स्त्री धर्म क्या है / सुहागन स्त्री के नियम / स्त्री को कैसे रहना चाहिए

हिंदू धर्म में स्त्री को लक्ष्मी का रूप माना जाता हैं. एक प्रकार से देखा जाए तो स्त्री देवी का ही रूप माना जाता हैं. हमने नीचे स्त्री धर्म तथा सुहागन स्त्री के नियम के बारे में बताया हैं.

  • सुहागन स्त्री पति की अर्धांगीनी मानी जाती हैं. अर्थात पति का आधा अंग मानी जाती हैं. इसलिए स्त्री को शादी के बाद पति को ही विशेष महत्व देना चाहिए. पत्नी पति का आधा अंग मानी जाती हैं. इसलिए पति के हर एक सुख दुख में उनका साथ देना चाहिए. परिस्थिति चाहे कैसी भी हो कभी भी पति का साथ नहीं छोड़ना चाहिए.
  • सुहागन स्त्री अगर अपने घर में बच्चों को संभाले, पति को संभाले, दुसरो का मान-सम्मान करे, घर की पूरी जिमेद्दारी उठाए तथा कम साधन संसाधन में घर का काम चला ले. तो इसमें पति के तरफ से भी स्त्री को मान-सम्मान मिलता हैं. तथा अपने घर की तरक्की होने लगती हैं.
  • स्त्री को हमेशा किसी भी व्यक्ति से मिठास से ही बात करनी चाहिए. क्योंकि स्त्री को देवी का स्वरूप माना जाता हैं. इसलिए स्त्री की वाणी में हमेशा मिठास होनी जरूरी हैं.
  • सुहागन स्त्री को अपने पति की सभी बातों का मानना चाहिए. अगर कही पर आपके पति गलत है. तो आप उन्हें समझा सकती हैं. लेकिन पति की बातो को एकदम से ठुकरा नहीं सकती हैं. पति की बात मानने से उनके मन में भी आपके प्रति मान-सम्मान बढ़ता हैं.
  • सुहागन स्त्री को पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचना चाहिए. जो स्त्री पति के अलावा अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती हैं. ऐसी स्त्री को हमारे धर्म ग्रंथो में पतिव्रता स्त्री कहा गया हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसी स्त्री पति को बल देने वाली होती हैं. पति की विश्वासु मानी जाती हैं. ऐसी स्त्री आगे जाकर खूब सुख भोगती हैं.
  • अगर किसी पुरुष को ऐसी पत्नी मिल जाए. जो ऊपर दी गई बातों का पालन करती हो. तो पुरुष को अपने आप को भाग्यवान समझना चाहिए. ऐसे पुरुष भाग्यशाली होते हैं. जिन्हें इस प्रकार के गुणों वाली तथा धर्म का पालन करने वाली स्त्री मिलती हैं.

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सुहागन मरने से क्या होता है                                        

अगर कोई स्त्री शादी शुदा तथा सुहागन है और ऐसी स्त्री मर जाती हैं. तो उनके परिवार में काफी फर्क पड़ता हैं. अगर सुहागन स्त्री के बच्चें है. तो उसके बच्चें मां बीना के अनाथ बन जाते हैं. सुहागन स्त्री का पति पत्नी के बीना अकेला पड जाता हैं. सुहागन स्त्री के परिवार वालो पर इसका काफी गहरा असर पड़ता हैं.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए तथा स्त्री धर्म क्या है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह सुहागन स्त्री को बाल कब धोना चाहिए / स्त्री धर्म क्या है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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