मीरा की भक्ति किस भाव की मानी जाती है – मीराबाई ने कौन सी बोली बोली है

मीरा की भक्ति किस भाव की मानी जाती है – मीराबाई ने कौन सी बोली बोली है – मीरा को आज के समय में कौन नहीं जानता हैं. यह भगवान श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती हैं. इसलिए आज भी मीरा बाई को याद किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है की मीरा ने बचपन से ही भगवान श्री कृष्ण की भक्त करना शुरू कर दिया था. और पुरे जीवनकाल दौरान मीरा ने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति की थी.

ऐसा माना जाता है की मीरा की मृत्यु भी भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करते करते ही हुई थी. मीरा बाई ने अपना पूरा जीवन भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में व्यतीत किया था. भगवान श्री कृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति कुछ अलग ही थी. भगवान श्री कृष्ण के प्रति मीरा बाई के भाव भी अलग थे.

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मीरा बाई के बारे में ऐसी ही कुछ बातें आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले हैं. इसलिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की मीरा की भक्ति किस भाव की मानी जाती है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

मीरा की भक्ति किस भाव की मानी जाती है

मीरा ने भगवान श्री कृष्ण को अपने पति के स्वरूप में स्वीकार किया था. उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के सगुण स्वरूप की सच्चे मन से आराधना करके भक्ति की थी. मीरा की ऐसी भक्ति को मधुरा भक्ति के नाम से जाना जाता हैं. मीरा ने भगवान श्री कृष्ण की सच्चे मन और भाव से भक्ति की थी.

मीरा की इस भक्ति का प्रधान भाव रति माना जाता हैं. भगवान श्री कृष्ण गिरधर गोपाल ही मीरा बाई के सबकुछ थे. मीरा जितना संत समाज को देखकर खुश हुआ करती थी. उतना ही अधिक वह इस समाज और संसार को देखकर दुखी हुआ करती थी.

मीरा बाई ने भगवान श्री कृष्ण की बचपन से भक्ति करना शुरू किया था. इसलिए वह भगवान श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती हैं. ऐसा माना जाता है की मीरा ने जब से भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करना शुरू किया था. तब से ही उन्होंने संसार का मोह त्याग दिया था. इसके बाद मीरा ने सिर्फ कृष्ण की भक्ति पर ही ध्यान दिया था.

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मीराबाई ने कौन सी बोली बोली है

मीरा बाई का जन्म राजस्थान में हुआ था. इसलिए मीरा बाई की मूलत भाषा राजस्थानी हैं. इनकी भाषा सरल और सहज हैं. मीरा बाई ने उनके पदों में भी सरल और सहज भाषा का उपयोग किया हैं.

मीरा बाई ने अपने पदों में ब्रजभाषा और राजस्थानी भाषा दोनों भाषा का उपयोग किया हैं. इनके पदों में कही कही पर गुजराती भाषा का भी प्रयोग किया गया हैं.

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मीरा बाई का इतिहास / मीरा बाई का जीवन परिचय

मीरा बाई के जीवन परिचय और इतिहास के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं.

  • मीरा बाई का जन्म सन 1498 में राजस्थान के कुडती गाम में हुआ था.
  • इनकी माता का नाम वीर कुमारी और पिता का नाम रतनसिंह था.
  • मीरा बाई ने मेवाड़ के महाराणा भोजराज सिंह के साथ विवाह किया था.
  • मीरा बाई धर्म से हिन्दू थी. बचपन से ही मीरा बाई ने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करना शुरू कर दिया था.
  • विवाह के पश्चात भी मीरा बाई के कोई भी पुत्र या पुत्री नही थे. क्योंकि वह भगवान श्री कृष्ण को अपना पति स्वीकार कर चुकी थी. और भगवान श्री कृष्ण को ही अपना सर्वस्व मानती थी. जब से मीरा बाई ने भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करना शुरू किया था. तब से उन्होंने संसार से मुंह मोड़ दिया था. और सिर्फ कृष्ण की भक्ति में लग गई थी.
  • मीरा बाई का विवाह के बाद सिसोदिया वंश लगता था.
  • मीरा बाई की मृत्यु सन 1547 में रणछोड़ मंदिर डाकोर द्वारका में हुई थी.
  • मीरा बाई का जीवनकाल 49 वर्ष का रहा था.

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मीरा बाई की मृत्यु कैसे हुई

जब मीरा बाई भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में पूर्ण रूप से लग गई थी. तब उन्होंने मेवाड़ छोड़ गुजरात के द्वारका के रणछोड़ मंदिर में चली गई थी. इसके बाद मंदिर में ही वह विलीन हो गई थी. कुछ लोगो का मानना है की उन्होंने मीरा को मंदिर में जाते हुए देखा था. लेकिन बाहर आते हुए नही देखा था.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की मीरा की भक्ति किस भाव की मानी जाती है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह मीरा की भक्ति किस भाव की मानी जाती है – मीराबाई ने कौन सी बोली बोली है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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