किन्नर की पहचान क्या है – किन्नरों की खासियत क्या है

किन्नर की पहचान क्या है – किन्नरों की खासियत क्या है – आपने काफी जगह पर किन्नर को देखा होगा. यह शादी, विवाह और ख़ुशी के अवसर पर नाचते गाते हुए दिखाई देते हैं. ऐसा माना जाता है की किन्नरों का आशीर्वाद शुभ फलदायी देने वाला होता हैं. किन्नर आपको आपके आसपास आसानी से देखने को मिल जाएगे.

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लेकिन जब भी आप किन्नर को देखते है तो आपके सवाल में इनके पहचान को लेकर सवाल तो उठते ही होगे. आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से किन्नर की पहचान के बारे में बताने वाले हैं. इसलिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की किन्नर की पहचान क्या है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

किन्नर की पहचान क्या है

किन्नर की पहचान का मुख्य तरीका उनके जननांग को माना जाता है. यानी की किसी भी किन्नर को आप उसके जननांग से पहचान सकते हैं. जननांग के आकार और स्वरूप के आधार पर भी किन्नरों को पहचाना जा सकता हैं. यानी की आप किसी भी किन्नर का जननांग देखने के बाद ही उसकी पहचान कर सकते हैं.

जैसे की किन्नरों में भी दो प्रकार के किन्नर होते हैं. एक पुरुष किन्नर और दुसरे स्त्री किन्नर. जिनका लिंग पूर्ण विकसित नही होता हैं. और आकार मी छोटा होता हैं. ऐसे किन्नरों को पुरुष किन्नर कहते हैं.

बिलकुल उसी प्रकार जिन स्त्री की योनी का आकर छोटा और पूर्ण विकसित नहीं होता हैं. वह स्त्री किन्नर कहलाती हैं. ऐसा माना जाता है की स्त्री किन्नर की योनी का छिद्र बहुत ही छोटा होता हैं. जो शारीरिक संबंध बनाने योग्य नही होता हैं.

काफी सारी स्त्री किन्नर के स्तन छोटे साइज़ की रह जाते हैं. तो कुछ इस प्रकार से आप स्त्री किन्नर की पहचान कर सकते हैं.

जब किसी बच्चे का जन्म होता है. तो इसके जननांग को पहले देखा जाता हैं. बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता हैं. और उसका जननांग पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता हैं. तो आगे जाकर उस बच्चे में किन्नर जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

जैसे की किसी पुरुष को किसी स्त्री के प्रति रूचि नहीं हैं. तो किसी पुरुष का ऐसा स्वभाव भी किन्नर का लक्षण माना जा सकता हैं. उसी प्रकार किसी महिला को पुरुष में रूचि नहीं हैं. वह सिर्फ महिला में रूचि रख रही हैं. तो वह स्त्री किन्नर का लक्षण माना जा सकता हैं.तो कुछ इस सामान्य बातों को ध्यान में रखते हुए आप किन्नर की पहचान कर सकते हैं.

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किन्नरों की खासियत

किन्नरों की कुछ मुख्य खासियत के बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं.

  • किन्नर समुदाय में जाने के बाद किन्नर को अपना धर्म अपनाने की पूर्ण रूप से छुट होती हैं.
  • किन्नर समुदाय में इनके गुरु भी होते हैं. किन्नर के पास जो भी दक्षिणा आती हैं. उसका आधा हिस्सा गुरु को देने का नियम होता हैं.
  • बेसरा माता को किन्नरों की देवी माना जाता हैं. किन्नर इसी माता की पूजा-अर्चना करते हैं. इस देवी का वाहन मुर्गा होता हैं.
  • किन्नर की मृत्यु के बाद इसका क्या होता हैं. यह राज आज दिन तक कोई नही जान पाया हैं. यह अपनी मृत्यु को कभी भी समाज के सामने प्रकट नही करते हैं.
  • जब किन्नर किसी समूह या लोगो के बीच में होते हैं. तो यह अपनी भाषा में बात करते हैं. जो कोड लैंग्वेज होती हैं. लोगो को समझ ना आए इसलिए किन्नर कोड लैंग्वेज का उपयोग करते हैं.
  • किन्नर अपने गुरु को खूब मानते हैं. गुरु की कोई भी आज्ञा किन्नर भगवान की तरह मानते हैं. गुरु जो भी कहते हैं. उसका पालन करना किन्नर का धर्म होता हैं.

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निष्कर्ष            

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की किन्नर की पहचान क्या है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह किन्नर की पहचान क्या है – किन्नरों की खासियत क्या है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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