दुष्कर्म की जांच कैसे होती है – टू फिंगर टेस्ट को कब अमान्य किया गया

दुष्कर्म की जांच कैसे होती है – टू फिंगर टेस्ट को कब अमान्य किया गया – आज के समय में आपको आपके अख़बार में आये दिन दुष्कर्म के केस देखने को मिल जाएगे. जब किसी महिला की इच्छा के विरूद्ध कोई पुरुष जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता हैं. तो इसे बलात्कार या दुष्कर्म कहा जाता हैं.

जब किसी लड़की या महिला का दुष्कर्म होता हैं. तो कोर्ट के द्वारा दुष्कर्म की जांच करने के लिए कहा जाता हैं. इस जांच में किसी फिमेल पर दुष्कर्म हुआ हैं या नही . इस बारे में जानने की कोशिश की जाती हैं.

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दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की दुष्कर्म की जांच कैसे होती है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

दुष्कर्म की जांच कैसे होती है

दुष्कर्म की जांच दो टेस्ट के माध्यम से होती हैं. जिसके बारे में हमने नीचे विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की हैं.

टू फिंगर टेस्ट से दुष्कर्म की जांच

आज से कुछ वर्षो पहले दुष्कर्म की जांच टू फिंगर टेस्ट द्वारा की जाती थी. जिसमे पीड़ित महिला को अस्पताल के एक टेस्ट रूम भेजा जाता था. इसके बाद एक मेल डॉक्टर आकर महिला के प्राइवेट पार्ट में टू फिंगर डालकर जांच करते थे.

इस जांच में डॉक्टर यह जांचने की कोशिश करते थे की महिला संबंध बनाने के लिए एक्टिव है या नही. हाथो से जांच करने की यह बहुत ही पुराने प्रक्रिया हैं. महिला की योनी में एक पतली सी झिल्ली होती हैं. जिसे हाईमन के नाम से जाना जाता हैं.

डॉक्टर टू फिंगर के द्वारा इस हाईमन की जांच करते हैं. अगर किसी महिला में हाईमन यानी की झिल्ली टूटी हुई या फटी हुई हैं. तो ऐसा माना जाता है की महिला संबंध बनाने के लिए एक्टिव हैं. यानी अगर झिल्ली को कुछ नुकसान पहुंचा हैं. तो ऐसी महिला संबंध बनाने में एक्टिव है . ऐसा माना जाता हैं.

लेकिन हाईमन सही हैं. और टुटा हुआ नही हैं. तो ऐसा माना जाता है की महिला पर दुष्कर्म नही हुआ हैं. लेकिन हाईमन टूटने के पीछे और भी काफी सारे कारण होते हैं. जैसे की काफी महिलाओ का हाईमन साइकिल चलाते समय टूट जाता हैं. इसलिए यह टेस्ट सचोट नही होता हैं.

यह टेस्ट सचोट नही होने की वजह से इस टेस्ट पर अभी रोक लगा दी गई हैं. अब इस टेस्ट को देश में अमान्य माना जाता हैं. और टू फिंगर टेस्ट अभी नही होता हैं.

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टू फिंगर टेस्ट को कब अमान्य किया गया

यह टेस्ट सचोट नही होने की वजह से अब यह टेस्ट अमान्य माना जाता हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में ही इस टेस्ट पर रोक लगा दी थी. इस लिए इस प्रकार का टेस्ट करना क़ानूनी जुर्म माना जाता हैं. लेकिन आज भी काफी जगह पर टू फिंगर टेस्ट से दुष्कर्म की जांच की जाती है. लेकिन यह गैर क़ानूनी माना जाता हैं.

इस टेस्ट को बैन करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है. की एक मेल डॉक्टर फिमेल की योनी में टू फिंगर डालकर यह बताता है. की महिला के साथ शारीरिक संबंध बांधा गया है या नही. यही इस टेस्ट की सबसे बड़ी खराब बात हैं. और यह जाँच सचोट भी नही मानी जाती हैं.

अब टू फिंगर टेस्ट देश में बैन हैं. तो महिला के साथ दुष्कर्म हुआ है या नही यह कैसे पता चलेगा. इसके लिए देश में एक टेस्ट होता है जिसे फोरेंसिक टेस्ट के नाम से जाना जाता हैं. जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं.

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फोरेंसिक टेस्ट कैसे होता है

दुष्कर्म के केस में एक टेस्ट किया जाता हैं. जिसे फोरेंसिक टेस्ट के नाम से जाना जाता है. यह टेस्ट पीड़ित महिला की सहमती से ही होता हैं. अगर पीड़ित महिला इस टेस्ट के लिए मना करती है. तो यह टेस्ट जबरदस्ती नही किया जाता हैं. इस टेस्ट के लिए दुष्कर्म पीड़ित महिला की अनुमति होना आवश्यक होती हैं.

इस टेस्ट में दुष्कर्म पीड़ित महिला के कपड़ो से सिर के बाल, मुंह की लार आदि सेंपल के तौर पर लिए जाते हैं. इसके अलावा दुष्कर्म पीड़ित महिला के शरीर पर लगे घाव आदि का भी सेंपल लेकर फोरेंसिक टेस्ट किया जाता हैं. अगर दुष्कर्म पीड़ित के सामने आरोपी ने कोई हथियार का इस्तेमाल किया हैं. तो इसकी भी जांच की जाती है.

फोरेंसिक टेस्ट में दुष्कर्म पीड़ित महिला का वजाइनल स्लाब भी लिया जाता हैं. और उससे पूछा जाता है की उसने एक सप्ताह के भीतर किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाया है या नही.

जब यह टेस्ट होता है उसके पहले महिला से सारी बाते पूछी जाती हैं. जैसे की दुष्कर्म में कंडोम का उपयोग हुआ था या नही. उसके साथ किस प्रकार से यौन हिंसा की गई.

इन सभी बातो को ध्यान में रखते हुए पीड़ित महिला के सेंपल का टेस्ट होता हैं. यह टेस्ट किसी एक्सपर्ट के द्वारा किया जाता हैं. इसके बाद इन सभी सेंपल का अपराधी के सेंपल से मिलान किया जाता हैं. अगर दोनों के सेंपल में कुछ समानता दिखती है. तो अपराधी को दोषी ठहराया जाता हैं.

कुछ इस प्रकार से एक्सपर्ट के द्वारा फोरेंसिक टेस्ट किया जाता हैं.

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इस टेस्ट में मेल डॉक्टर फिमेल की योनी में टू फिंगर डालकर जांच करते है की उसका हाईमन सही सलामत है या नही. कही हाईमन टुटा या फटा तो नही हैं. अगर टू फिंगर डालकर जांच करने पर हाईमन सही सलामत नही है. और टुटा फटा हाईमन है. तो ऐसा माना जाता है की फिमेल के साथ शारीरिक संबंध बनाया गया हैं.

और अगर हाईमन सही सलामत है. और हाईमन को कुछ भी नुकसान नही हुआ हैं. तो ऐसे में माना जाता है की फिमेल के साथ दुष्कर्म नही हुआ हैं. लेकिन यह जांच सचोट नही होने की वजह से इस पर भारत में प्रतिबंध रखा गया हैं.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया दुष्कर्म की जांच कैसे होती है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह दुष्कर्म की जांच कैसे होती है – टू फिंगर टेस्ट को कब अमान्य किया गया आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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