कुरान सूरा 33 की आयत 37 और 50 में ऐसा क्या लिखा है – सम्पूर्ण जानकारी

कुरान सूरा 33 की आयत 37 और 50 में ऐसा क्या लिखा है – दोस्तों कुरान इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक हैं. इस्लाम धर्म में कुरान को पढ़कर ही शिक्षा प्राप्त की जाती हैं. वह कुरान के अनुसार ही धर्म के मार्ग पर चलते है. तथा ईश्वर को प्राप्त करने की प्रेरणा उन्हें कुरान के माध्यम से ही मिलती हैं. सभी मजहब में एक पवित्र पुस्तक होता हैं. इस पवित्र पुस्तक से ही अपने मजहब के बारे में सभी जानकारियां मिलती हैं.

जैसे इसाई धर्म का पवित्र पुस्तक बाइबल है वैसे ही इस्लाम धर्म का पवित्र पुस्तक कुरान हैं. जैसे बाइबल में सभी जानकारी मजहब के बारे में लिखी है. वैसे ही कुरान में भी मजहब के बारे में सभी जानकारी लिखी गई हैं.

कुरान शब्द का अर्थ होता है ‘उसने पढ़ा’. कुरान में कुरान का जिक्र 70 बार किया गया हैं. कुरान को कुल 114 अध्यायों में बांटा गया है. जिसे सूरा कहा जाता हैं. इन 114 सूरा में 6,666 आयतें हैं. आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको कुरान के सूरा 33 की आयत 37 और 50 में क्या लिखा गया है इस बारे में आपको बताएगे. हम जो भी उल्लेख यहा करेंगे वह कुरान से ही लिया गया हैं.

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कुरान सूरा 33 की आयत 37 और 50 में ऐसा क्या लिखा है

कुरान सूरा 33 की आयत 37 में लिखा है:

याद करो (ऐ नबी) जबकि तुम उस व्यक्ति से कह रहे थे जिसपर अल्लाह ने अनुकम्पा की, और तुमने भी जिसपर अनुकम्पा की, कि “अपनी पत्नी को अपने पास रोक रखो और अल्लाह का डर रखो, और तुम अपने जी में उस बात को छिपा रहे हो जिसको अल्लाह प्रकट करनेवाला हैं.

तुम लोगो से डरते हो, जबकि अल्लाह इसका ज्यादा हक़ रखता हैं कि तुम उससे डरों”. अत: जब जैद उससे अपनी जरूरत पूरी कर चूका तो हमने उसका तुमसे विवाह कर दिया, ताकि ईमानवालों पर अपने मुंह बोले बेटों की पत्नियों के मामले में कोई तंगी न रहे जबकि वे उनसे अपनी जरूरत पूरी कर लें. अल्लाह का फैसला तो पूरा होकर ही रहता हैं.

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कुरान सूरा 33 की आयत 50 में क्या लिखा है पढ़े

कुरान सूरा 33 की आयत 50

ऐ नबी हमने तुम्हारे लिए तुम्हारी वे पत्नियाँ वैध कर दी है जिनके मर्हम तुम दे चके हो, और उन स्त्रियों को भी जो तुम्हारी मिल्कियत में आई, जिन्हें अल्लाह ने गनीमत के रूप में तुम्हें दी और तुम्हारी चचा के बेटियां और तुम्हारी फुफियों की बेटियां और तुम्हारे मामुओं की बेटियां और तुम्हारे खालाओं की बेटियां जिन्होंने तुम्हारे साथ हिजरत की हैं. और वह इमानवाली स्त्री जो अपने आपको नबी के लिए दे दे, यदि नबी उससे विवाह करना चाहे.

इमानवालों से हटकर यह केवल तुम्हारे ही लिए हैं. हमें मालूम है जो कुछ हमने उनकी पत्नियों के बारे में उनपर अनिवार्य किया हैं. ताकि तुमपर कोई तंग न रहे. अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान हैं.

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दोस्तों कुरान में इस प्रकार कुरान सूरा 33 आयत 37 और 50 में यह सभी बाते लिखी गई हैं. अब यह गलत लिखा है या सही इसका विचार आपको करना हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ आपको धर्म के बारे में जानकारी देना तथा पवित्र पुस्तक में मजहब के बारे में क्या जानकारी या उल्लेख किया गया है यह सभी जानकारी आप तक पहुंचाना हैं.

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने इस आर्टिकल (कुरान सूरा 33 की आयत 37 और 50 में ऐसा क्या लिखा है) के माध्यम से आपको इस्लाम धर्म के पवित्र पुस्तक कुरान में मौजूद सूरा आयत में लिखी गई बाते आपको बताई है हमने जो भी आयत के बारे में बताया वह सभी कुरान में जो उल्लेख किया गया है उसी के बारे में बताया हैं.

दोस्तों हम आशा करते है आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद.

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